Saturday, August 6, 2016

तोटक छन्द (श्लोक)

    कर कंकण केश जटा मुकुटम्
    मणि माणिक मौक्तिक आभरणम्
    गज नील गजेन्द्र गणादि पथिम्
    मम तुष्ट विनायक हस्त मुखम् ॥१॥

    त्यज-तोटकमर्थं नियोगकरं
    प्रमदादिकृतं व्यसनोपहतं
    उपधाभिर्शुद्धमतिं सचिवं
    नरनायक-भीरुकमायुदिकम् ॥२॥

मणिना वलयं वलयेन मणि
मणिना वलयेन विभाति कर:।
शशिना च निशा निशया च शशि:
शशिना निशया च विभाति नभ: ॥३॥

पयसा कमलं कमलेन पय:
पयसा कमलेन विभाति सर: ।
कविना च विभु: विभुना च कवि
कविना विभुना च विभाति सभा ॥४॥